पुष्पेंद्र मिश्र, एमपी हेल्थ न्यूज डाट काॅम
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने चिकित्सा गर्भपात संशोधन विधेयक-2020 को मंजूरी दे दी है। इसमें गर्भपात कराने की समय सीमा को 20 सप्ताह से बढ़ाकर 24 हफ्ते करने का प्रावधान किया गया है। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार संसद के आगामी सत्र में एक विधेयक लाएगी, जिसके जरिए गर्भपात अधिनियम (मेडिकल टर्मिनेशन आफ प्रेगनेंसी एक्ट) 1971 में संशोधन किया जाएगा।
केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर ने बताया कि संशोधन विधेयक के मुताबिक ऐसे मामलों में गर्भपात के लिए अब दो डाॅक्टरों की इजाजत लेनी होगी। इन डाॅक्टरों में कम से कम एक सरकारी डाॅक्टर होगा। भ्रूण में विकृति के मामले में मेडिकल बोर्ड बैठाया जाएगा, जो तय करेगा कि गर्भपात किया जाना चाहिए या नहीं। इस बदलाव के निर्णय के लिए केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की अध्यक्षता मे मंत्रियों का समूह गठित किया गया था। मंत्री जावडेकर ने कहा कि गर्भपात की समय सीमा बढ़ाने के इस कदम से बलात्कार पीड़िताओं और नाबालिगों को मदद मिलेगी।
भ्रूण विकृति के मामलों में समय सीमा नहीं
मेडिकल बोर्ड की जांच में मिली भ्रूण संबंधी विषमताओं के मामले में गर्भावस्था की उपरी सीमा लागू नहीं होगी। मेडिकल बोर्ड इन मामलों में निर्णय लेगा। दूसरी ओर जिस महिला का गर्भपात कराया जाना है उसका नाम और अन्य सूचनाएं भी सार्वजनिक नहीं की जाएंगी।