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अध्यात्म एवं योग - 06 May, 2019

योग-अध्यात्म बनाता स्वस्थ और सदाचारी

योग अध्यात्म व्यक्ति को स्वस्थ और सदाचारी जीवन प्रदान कर चिरायु बनाता है। शाकाहारी मानव समाज में समरसता का भाव स्थापित करता है।

योग अध्यात्म व्यक्ति को स्वस्थ और सदाचारी जीवन प्रदान कर चिरायु बनाता है। शाकाहारी मानव समाज में समरसता का भाव स्थापित करता है। निरंजनी अखाड़ा के महामंडलेश्वर स्वामी विज्ञानानंद सरस्वती ने विष्णु गार्डन स्थित श्री गीता विज्ञान आश्रम में आयोजित निशुल्क योग शिविर में यह विचार व्यक्त किए।

पतंजलि योगपीठ को भारत का गौरव और ऋषि परंपरा का सबसे बड़ा संवाहक बताते हुए उन्होंने कहा कि भारत की लुप्त हो रही योग परंपरा और महर्षि पतंजलि के नाम को विश्वस्तरीय ख्याति दिलाने वाले स्वामी रामदेव आधुनिक भारत के स्वामी विवेकानंद हैं। जिस प्रकार स्वामी दयानंद ने वेदों का प्रचार किया और आदि जगदगुरु शंकराचार्य ने सनातन धर्म और संस्कृति की रक्षा को जो आदर्श स्थापित किया वही कार्य स्वामी रामदेव ने योग और आयुर्वेद के पुनर्जीवन के लिए किया।

मेडिकल साइंस की तुलना में योग विज्ञान को समाज के लिए वरदान बताते हुए कहा कि मेडिकल साइंस तो बीमारियों का सामयिक उपचार करता है लेकिन योग विज्ञान को जो व्यक्ति अपनी दिनचर्या में शामिल कर लेता है, वह जीवन पर्यत बीमारियों से मुक्त होकर स्वस्थ चिरायु जीवन व्यतीत करता है। शिविर संयोजक शिवओम ब्रह्मचारी ने शिविर में कराए जा रहे योगासन, प्राणायाम आदि को अपनी दिनचर्या में सम्मिलित करने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि जो साधक प्रतिदिन अपने उत्तम स्वास्थ्य के लिए आधा घंटा भी योग को देता है, उसका पूरा जीवन आरोग्यमय बन जाता है।