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खोज - 28 December, 2020

कारगर रणनीति से किया कोरोना को काबू, जल्द करेंगे खात्मा: डाॅ. नरोत्तम मिश्र

पुष्पेंद्र मिश्र। जिस मप्र में कोराना से हाहाकार मचने का खतरा था। जहां चिकित्सा सुविधाओं की बेहद कमी थी और उन्हें जुटाना एक बड़ी चुनौती थी। तब राज्य के स्वास्थ्य मंत्री का पद संभालने वाले डाॅ. नरोत्तम मिश्र ने स्थितियों को किस तरह संभाला।

प्रश्न आपने जब मध्य प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री का पद संभाला तो राज्य में कोरोना के खिलाफ जंग में हालात काफी खराब थे। कोराना के मरीजों की जांच से लेकर उपचार तक के तमाम प्रबंध आपने कैसे किए ?
उत्तर प्रदेश में टेस्टिंग किट, लैब, बैड की उपलब्धता को उच्च स्तर तक ले जाने के लिए सभी हरसंभव प्रयास और कार्य किए , जिसके कारण रिकवरी का प्रतिशत उच्च रहा और मध्य प्रदेश में मृत्यु दर बेहद कम रही है। आयुर्वेदिक, होम्योपैथिक एवं यूनानी दवाओं के पैकेट्स और शीशियाँ बांटे गए हैं। जीवन अमृत योजना के अंतर्गत रोग प्रतिरोधक क्षमता बढाने वाला  आयुर्वेदिक काढ़ा  वितरित किया जा चुका है।
प्रश्न ई-परामर्श सेवा और 104 हेल्पलाइन नंबर शुरू करने के कैसे नतीज मिले?
उत्तर हमने प्रोजेक्ट स्टेप वन योजना की। प्रदेश में डाक्टर हेल्पलाइन नंबर 104 और ई-परामर्श सेवा की शुरुआत की गई। इससे डाक्टरों को स्वैच्छिक रूप से जोड़ा गया, जो कोरोना वायरस के संबंध में आशंकाओं का समाधान कर रहे है और लोगों को परामर्श दे रहे है। फोन पर चिकित्सकों से निशुल्क परामर्श की व्यवस्था होने के बेहद सकारात्मक प्रभाव पड़े और लोगों में करोना को लेकर भ्रांतियों और इससे व्याप्त भय का वातावरण दूर हुआ।


प्रश्न इंदौर में कोरोना से हाहाकार मचा हुआ था, वहां सर्वाधिक मौतें भी हुईं। इस सबको कैसे दुरूस्त किया गया ?
उत्तर  पहले इंदौर का नाम देश के कोरोना से प्रभावित सबसे ज्यादा संख्या वाले शहर में शुमार था,लेकिन अब इंदौर कोरोना से निपटने के एक सफल मॉडल के रूप में उभरा है। इंदौर एप के जरिये लोगों पर खास नजर रखी गई। सबसे पहले एप के जरिए स्क्रीनिंग और सर्वे किया गया और उसका डेटा एप से सुरक्षित कर दिया गया। कोविड पॉजिटिव के संपर्क मे आए लोगो का का डेटा दर्ज होने से यह साफ हुआ कि होम क्वारंटाइन किसे करना है। एप के जरिए इसकी बकायदा मॉनिटरिंग की गई। उन पर कंट्रोल रूम से बकायदा नजर रखी जाती है।
प्रश्न यह एप कैसे काम करता है?
उत्तर एप के कारण प्रभावित मरीज का डेटा सभी के पास उपलब्ध है। मान लीजिये कोई भी पुरूष या महिला किसी सामान्य सर्दी खांसी के लिए स्थानीय डाक्टर के यहाँ गए, तो उसके लक्षण के आधार पर डेटा दर्ज होता है और प्रभावित की खबर लगते ही रेपिड रेस्पान्स टीम वहाँ पहुँच जाती है। जो लोग अन्य जगह से इंदौर आए या जो प्रभावित पाये गए उनके डोमेस्टिक ट्रैवल का डेटा भी इस एप में दर्ज किया गया।

प्रश्न कोरोना के इलाज का जैसा प्रबंध इंदौर में किया गया और उससे वहां की स्थिति जिस तेजी से सुधरी है, उस माॅडल की आज देशभर में चर्चा है। इसके बारे में कुछ बताइये?
उत्तर इंदौर का मॉडल हमारी व्यवस्थाओं के समन्वय और प्रशासनिक कौशल की बड़ी मिसाल है, जिसमें स्वास्थ्य कर्मियों का उपयोग, पुलिस से समन्वय और इस सबके साथ तकनीक का सहारा लेकर प्रभावित लोगों तक अपनी पहुँच बना ली। इंदौर जैसे बड़े महानगर में कोविड-19 पर काबू पाना बड़ी चुनौती थी जिसे बेहतर तरीके से अंजाम दिया गया और इसमें बड़ी सफलता भी मिली।
प्रश्न कोरोना से निपटने के लिए वर्तमान में क्या कदम उठाए जा रहे हैं?
उत्तर कोरोना को मात देने के लिए स्वास्थ्य विभाग की टीम हर दिन नई रणनीति के तहत काम कर रही है। इसी का परिणाम रहा कि हमने कम समय में देश में सबसे अधिक रिकवरी रेट हासिल किया। 
प्रश्न क्या राज्य में कोरोना के उपचार और दवाओं को लेकर कुछ काम किया जा रहा है।
उत्तर कोरोना उपचार के लिए स्वास्थ्य विभाग की टीम के साथ मिलकर भोपाल एम्स के डाक्टर लगातार काम कर रहे हैं। कोरोना वायरस की वैक्सीन बनाने में भोपाल एम्स और गांधी मेडिकल कालेज में रिसर्च जारी है। 
प्रश्न हम ई-संजीवनी ओपीडी के बारे में जानना चाहेंगे?
उत्तर प्रदेश के सभी जिला अस्पतालों में ई-संजीवनी ओपीडी प्रारंभ की गई है। अब लोगों को घर बैठे स्वास्थ्य सेवाएं, परामर्श एवं उपचार ई-संजीवनी में माध्यम से उपलब्ध हो रही है।
प्रश्न जिला अस्पतालों में अत्याधुनिक आईसीयू और पर्याप्त संख्या में वेंटीलेटर न होने की बात भी कोरोनाकल में सामने आई थी। इस बारे में क्या किया गया है?
उत्तर प्रदेश भर में पर्याप्त आइसोलेशन बेड्स उपलब्ध है। इसी प्रकार आईसीयू बेड्स, टेस्टिंग किट, पीपीई किट्स, 3 लेयर मास्क, डेडिकेटेड अस्पतालों और कोविड हेल्थ सेंटरों में वेंटिलेटरों की उपलब्धता पर्याप्त और अतिरिक्त है। अब किसी भी तरह के चिकित्सा उपकरणों की कमी जैसी कोई समस्या नहीं है।