प्रस्तुति पुष्पेंद्र मिश्र
दुनिया भर के लोग साल 2021 में कोरोना वायरस महामारी से छुटकारा पाना चाहते हैं, लेकिन जिस तरह कोरोना के नए स्ट्रेन मिले हैं, उससे लोगों में डर और निराशा बढ़ती जा रही है। इस स्थिति को देखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने विश्व के तमाम देशों और उनकी सरकारों को इन स्थितियों से अवगत कराने के लिए साल 2021 में स्वास्थ्य से जुड़ी 5 बड़ी चुनौतियां की एक लिस्ट जारी की है, जिसका सामना पूरी दुनिया को करना पड़ सकता है। येे 5 चुनौतियां भारत के लिए भी चिंता की बात हो सकती हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि दुनिया भर के देशों को इन चुनौतियों से निपटने के लिए अपने स्वास्थ्य संगठनों और सेवाओं को और उन्नत और मजबूत बनाना होगा।
1. काम्निकेबल डिजीज
हाल के दशकों में, डब्लूएचओ और इनके भागीदारों ने पोलियो, एचआईवी, पीलिया, मलेरिया को खत्म करने और खसरा एवं दिमागी बुखार आदि को रोकने के लिए जमकर काम किया है। पर 2020 में कोविड-19 ने इस काम को बहुत पीछे छोड़ दिया। ऐसे में साल 2021 में काम्निकेबल डिजीज यानी कि फैलने वाली बीमारियों को रोकने पर तेजी से काम करना होगा। साथ ही 2021 में महामारी के दौरान छूटे हुए लोगों को पोलियो और अन्य बीमारियों के टीके लगवाने होंगे।
2. ड्रग रेजिस्टेंस
डब्लूएचओ की मानें, तो संक्रामक रोगों को समाप्त करने के वैश्विक प्रयास केवल तभी सफल होंगे, जब हमारे पास उनके इलाज के लिए प्रभावी दवाएं होंगी। इसलिए स्वास्थ्य संस्थाओं, खाद्य और कृषि संगठन और पशु स्वास्थ्य के लिए विश्व संगठन और सभी क्षेत्रों में हितधारकों के साथ ड्रग रेजिस्टेंस परेशानियों पर मिल कर काम करना होगा। एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस आने वाले वक्त में कई बीमारियों और महामारियों के फैलने का कारण बन सकता है, जिससे बचाव के लिए स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत बनाना होगा और स्वास्थ्य आपात स्थितियों से निपटने के लिए तैयारियां करनी होंगी।
3.मानसिक बीमारियां
डब्ल्यूएचओ के नवीनतम वैश्विक स्वास्थ्य अनुमानों से पता चला है कि गैर-संचारी रोग 2019 में मृत्यु के शीर्ष 10 कारणों में से 7 के लिए जिम्मेदार थे। जिसमें मानसिक बीमारियों का बड़ा हाथ है। पर अब कोरोना वायरस के कारण हुए नुकसानों और लाकडाउन ने दुनिया भर में लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर डाला है। 2021 में हमें सामुदायिक तौर पर मानसिक स्वास्थ्य देखभाल के लिए सेवाओं के विस्तार करना होगा और लोगों के मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी काम करना होगा।
4. स्वास्थ्य असमानताओं से लड़ना होगा
हेल्थकेयर एक्सेस यानी कि स्वास्थ्य सेवाओं तक लोगों की पहुंच बढ़ानी होगी और इसके लिए लोगों के बीच असमानता से निपटने के लिए कारगर कदम उठाने होंगे। इसके लिए डब्ल्यूएचओ ने फैसला किया है कि 2021 में, वह अपने डेटाबेस का इस्तेमाल करेगा और यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज पहल को आगे बढ़ाएगा। डब्ल्यूएचओ ने दावा किया कि यह देशों के साथ अपने काम के साथ-साथ लिंग, जातीयता, आय, शिक्षा, व्यवसाय, आदि के आधार पर स्वास्थ्य सेवा में अंतर जैसे मुद्दों पर नजर रखेगा और स्वास्थ्य असमानताओं को खत्म करने की कोशिश करेगा।
5. सभी के लिए अच्छा स्वास्थ्य सुनिश्चित करना
अगले साल, डब्ल्यूएचओ अपने सहयोगियों के साथ मिलकर सभी देशों में एक मजबूत स्वास्थ्य सेवा प्रणाली सुनिश्चित करने के लिए काम करेगा, जिससे महामारी के लिए और अधिक प्रभावी योजनाएं होंगी। इसका उद्देश्य सभी देशों में एक स्वास्थ्य सेवा प्रणाली का निर्माण करना होगा, जो यह सुनिश्चित करेगा कि गरीब से गरीब इंसान तक को उसके अपने घरों के करीब जरूरी स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध हों। इन सबके अलावा डब्ल्यूएचओ का ये भी कहना है कि अगले साल कैंसर, मधुमेह और हृदय रोग जैसी बीमारियों के लिए स्क्रीनिंग और उपचार कार्यक्रम उन सभी के लिए भी सुलभ हों जिनको इसकी जरूरत है और वो पहुंच नहीं पा रहें। यह 2021 में एक बड़ा फोकस होगा। साथ ही साल 2021 में 10 करोड़ लोगों को तंबाकू छोड़ने के लिए अभियान चलाया जाएगा।