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यह भी जानिये - 26 August, 2019

अब एमआरएस जांच से पहले ही लगाया जा सकेगा स्तन कैंसर का पता

स्तन कैंसर के मामले में तेजी से इजाफा हो रहा है। अफसोस की बात यह है कि 70 से 80 प्रतिशत महिला मरीज समय पर अस्पताल नहीं आ पा रहे हैं। 

पुष्पेंद्र मिश्र, एमपी हेल्थ न्यूज डाट काॅम

अब महिलाओं में स्तन कैंसर का पहले ही पता लगाया जा सकेगा। इसके लिए महिलाओं को बहुत पैसे खर्च करने की भी जरूरत नहीं पड़ेगी। न ही मैमोग्राफी का रेडिएशन झेलना होगा। यह मुमकिन होगा मैग्नेटिक रेजोनेंस स्पेक्ट्रोस्कोपी (एमआरएस) जांच से। इस जांच से स्तन में मौजूद वसा व दूसरे रासायिनक तत्वों के स्तर को देखा जाएगा। वसा और रासायनिक तत्वों में तब्दीली की स्थिति में यदि इलाज शुरू कर दिया जाए तो बीमारी का पनपने से पहले ही खात्मा संभव होगा। पीजीआई परिसर स्थित सेंटर ऑफ बायोमेडिकल रिसर्च व केजीएमयू जनरल सर्जरी विभाग के संयुक्त शोध में यह खुलासा हुआ है।  यह शोध पत्र यूएस के मेटाबोलोमिक्स के जनरल में प्रकाशित हो चुका है।

40 साल के बाद महिलाएं जांच कराएं
केजीएमयू के जनरल सर्जरी विभाग के डॉ. सुरेन्द्र कुमार का कहना है कि 40 साल की उम्र पार करने पर सभी महिलाओं को साल में मैग्नेटिक रेजोनेंस स्पेक्ट्रोस्कोपी की जांच जरूर करानी चाहिए। बीमारी की शुरुआत में इसका पता चलने पर 100 फीसदी इलाज संभव है। यह जांच सरकारी अस्पतालों में करीब ढाई हजार रुपये में होती है।

72 मरीजों पर शोध किया 
सीबीएमआर के निदेशक डॉ. राजा राय, पीएचडी छात्र अनूप पॉल और केजीएमयू के जनरल सर्जरी विभाग के डॉ. सुरेन्द्र कुमार की मदद से स्तन कैंसर से पीड़ित 72 महिलाओं पर शोध किया गया। इनका इलाज केजीएमयू में चल रहा है। शोध में इन महिलाओं के लीम्फ नोड, बायोप्सी, कैंसर टिशू आदि की जांच की गई। इसमें स्तन में मौजूद वसा व रासायनिक तत्वों में भिन्नता पाई गई। कई में ट्यूमर पनप चुका था। 

मुमकिन हुई यह जांच
सीबीएमआर के निदेशक डॉ. राजन राय बताते हैं कि मैग्नेटिक रेजोनेंस स्पेक्ट्रोस्कोपी (एमआरएस) एक तरह का एमआरआई है। इसमें रेडिएशन नहीं होता है। उन्होंने बताया कि स्तन में वसा की मात्रा 90 प्रतिशत होती है। एमआरएस स्तन में उपलब्ध वसा, ट्राईग्लिसराइड, फैटी एसिड व अन्य तत्वों में बदलाव दिखने पर कैंसर का संकेत देता है।