विश्व स्वास्थ्य संगठन ने तीन साल की समीक्षा के बाद चेताया
कहा- वैक्सीन के कारगर होने की दर मात्र चालीस फीसदी
डब्लूएचओ के मुताबिक 5 पीडि़तों में से 3 की उम्र 5 साल से कम होती है
कमजोर तबके के लोग होते हैं इस बीमारी से सबसे ज्यादा प्रभावित
पुष्पेंद्र मिश्र, एमपी हेल्थ न्यूज डाट काॅम
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपनी ताजा रिपोर्ट में खुलासा किया है कि वर्ष 2000 से 2015 के बीच मलेरिया के मामलों और इससे मौतों की संख्या में कमी आने के बावजूद इससे जल्द निजात मिलने की उम्मीद नहीं है। रिपोर्ट के मुताबिक पिछले दो वर्षों में मलेरिया उम्मूलन कार्यक्रम की रफ्तार थम सी गई है। डब्लूएचओ के अनुसार इसका सबसे बड़ा कारण है वैक्सीन के कारगर होने की दर का मात्र 40 फीसदी रहना है। डब्लूएचओ के मुताबिक मलेरिया के मामलों में 2020 तक कमी लाने और इससे होने वाली मौतों को 90 फीसदी कम करने का लक्ष्य शायद पूरा नहीं हो पाएगा। उल्लेखनीय है कि यह बीमारी आर्थिक रूप से कमजोर तबकों और कम उम्र के लोगों को ज्यादा प्रभावित करती है। इसके 5 पीडि़तों में से 3 की उम्र 5 साल से कम होती है। रिपोर्ट के मुताबिक मलेरिया से लड़ने के लिए 2030 तक 34 अरब अमेरिकी डाॅलर की जरूरत पड़ेगी।
बेअसर हो रही दवाएं
डब्लूएचओ ने पाया है कि कंबोडिया से लेकर लाओस, थाईलैंड और वियतनाम में अधिकतर मरीजों को दी जाने वाली दवाएं बेअसर साबित हो रही हैं। मलेरिया के परजीवी इन दवाओं को लेकर प्रतिरोधक हो गए हैं।
दुनिया में हर साल होती हैं 4 लाख मौतें
दुनिया में हर साल मलेरिया के करीब 20 करोड़ मामले सामने आते हैं और इनमें से लगभग 4 लाख लोगों की मौत हो जाती है। डब्लूएचओ के मुताबिक साल 2018 में दुनिया में बीमारियों से हुई 90 फीसदी मौतें मलेरिया या इससे संबंधित वजहों से हुई थीं। अफ्रीका का उप सहारा क्षेत्र इस बीमारी से सबसे ज्यादा प्रभावित है। डब्लूएचओ का मानना है कि यदि हालात न सुधरे तो वर्ष 2050 तक अफ्रीका में 1 करोड़ 10 लाख लोगों को यह बीमारी अपनी चपेट में लेगी।
भारत की स्थिति में आया थोड़ा सुधार
भारत में हर साल लगभग 18 लाख लोग मलेरिया की चपेट में आते हैं। मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिसा, झारखंड, त्रिपुरा, महाराष्ट और मेघालय में मलेरिया के सबसे ज्यादा मामले सामने आते हैं। मलेरिया के एक प्रकार पी वीवेक्स के दुनिया में 80 फीसदी मामले मात्र तीन देशों में सामने आते हैं, जिनमें भारत भी शामिल है।
पिछले दशक में मलेरिया उन्मूलन को लेकर जो प्रगति हुई है, वह संतोषजनक नहीं है। मलेरिया उन्मूलन अभियान की गति कम हुई है।
पेतरो अलोन्सो, मलेरिया निदेशक, डब्लूएचओ