आधुनिक जीवनशैली कब्ज का प्रमुख कारण है। शारीरिक परिश्रम की कमी, कुर्सी पर ज्यादा देर तक बैठना, व्यायाम एवं योग न करना, आहार संबंधी गलत आदतें, वेस्टर्न टॉयलेट का प्रयोग, बढ़ता मानसिक तनाव आदि वे प्रमुख कारण हैं, जो कब्ज के लिए जिम्मेदार हैं। यौगिक क्रियाओं के नियमित अभ्यास तथा आहार में परिवर्तन से पुराने से पुराने कब्ज को भी ठीक किया जा सकता है। कब्ज से पीड़ित लोगों को जानुशिरासन, उष्ट्रासन, तिर्यक ताड़ासन, करिचक्रासन तथा हलासन का अभ्यास करना चाहिए। इसके साथ ही पवनमुक्तासन के 5 से 7 चक्रों का अभ्यास करने से बहुत लाभ होता है। प्रतिदिन भोजन के बाद 5 से 7 मिनट वज्रासन पर अवश्य बैठें।
तिर्यक ताड़ासन की अभ्यास विधि
दोनों पैरों के बीच 4-6 इंच का अंतर कर खड़े हो जाएं। दोनों हाथों की अंगुलियों को आपस में गूंथिये (इंटरलॉक करें) और उन्हें सिर से ऊपर सीधा उठाएं। अब एड़ियों को भी जमीन से ऊपर उठाएं। फिर शरीर को दायीं तथा फिर बायीं ओर बारी-बारी से 8-8 बार झुकाएं। इसके बाद धीरे-धीरे वापस पूर्व स्थिति में आ जाएं। प्रतिदिन भस्त्रिका का अभ्यास 5 से 7 मिनट अवश्य करें। साथ में नाड़ी शोधन तथा सूर्यभेदी प्राणायाम के नियमित अभ्यास से इस रोग को जड़ से उखाड़ फेंकने में मदद मिलती है। ध्यान के किसी भी आसन जैसे पद्मासन, सिद्धासन, सुखासन में या कुर्सी पर रीढ़, गला व सिर को सीधा कर बैठ जाएं। नासिकाग्र मुद्रा लगाएं। बायीं नासिका को बंद कर दायीं नासिका से गहरी तथा दीर्घ श्वास अंदर लें। इसके बाद बायीं नासिका से दीर्घ तथा गहरी श्वास निकालें। यह सूर्यभेदी प्राणायाम का एक चक्र है। 5-6 चक्रों से प्रारम्भ करें और 24 चक्रों तक नियमित रूप से अभ्यास करें।
ध्यान
मानसिक तनाव आज की शहरी जीवनशैली का एक महत्वपूर्ण अंग है। यह कब्ज को और जीर्ण करता है। ध्यान या योगनिद्रा का नियमित अभ्यास करने से भी सारे तनाव दूर हो जाते हैं और मन प्रसन्न, मुक्त तथा हल्का हो जाता है।
अन्य सुझाव
पाचन क्रिया को बेहतर बनाए रखने के लिए निश्चित समय पर शौच जाएं।
प्रात: शौच जाने के पूर्व मुंह साफ कर एक या दो गिलास पानी अवश्य पिएं।
प्रात: नाश्ता समय पर करें और खानपान की आदतों को सही करें। आहार विशेषज्ञ से भी सलाह लें।