पुष्पेंद्र मिश्र, भोपाल
देश में कमजोर वर्ग के दस करोड़ परिवारों के करीब 50 लाख सदस्यों को लाभ पहुंचाने के लिए शुरू की गई आयुष्मान भारत योजना का एक साल पूरा होने के बाद स्टेट हैल्थ एजेंसी ने इसकी समीक्षा की है और नागरिकों के हित में इसमें कुछ बदलाव किये हैं।
स्टेट हैल्थ एजेंसी ने योजना के सभी 1400 पैकेज की समीक्षा की जिसके बाद सरकारी अस्पतालों के लिए आरक्षित किये गए 241 पैकेज को ओपन फार आल कर दिया। अब इन पैकेज के जरिए मरीज अपनी इच्छानुसार किसी भी सरकारी या निजी अस्पताल में करा सकेंगे।
समीक्षा में पाया गया कि योजना के कुछ नियम ऐसे हैं जिनके चलते मरीजों को अस्पतालों में आधा -अधूरा इलाज ही मिल पर रहा है, जिससे उन्हें भारी असुविधा हो रही है। समीक्षा में यह बात सामने आयी कि सड़क हादसे में घायल व्यक्ति के सिर का इलाज तो निजी अस्पतालों में आयुष्मान पैकेज में हो जाता है, लेकिन हड्डियों के इलाज के लिए उन्हें सरकारी अस्पतालों में ही जाना पड़ता है। इसी तरह स्तन कैंसरी की सर्जरी तो निजी अस्पतालों में जो जाती थी, लेकिन कैमोथेरपी सरकारी अस्पताल में कराने पर ही योजना का लाभ मिलता था। 40 फीसदी से कम जले मरीजों को ही निजी अस्पतालों में इलाज मिल पाता था। अब इन पैकेजों को ओपन फार आल कर दिया गया है, ताकि मरीजों को एक ही जगह पूरा इलाज मिल सके।
ये बदलाव भी हुए
अब डेंगू के इलाज को भी ओपन कैटेगरी में शामिल कर दिया गया है। ब्लड कैंसर, प्री मेच्योर बेबी की रेटिनापैथी (आरओपी) एवं ईएनटीे के लगभग 46 पैकेज को भी ओपन फार आल कर दिया गया हैं। हार्ट अटैक के मेडिकल मैनेजमेंट यानि एंजियोग्राफी और एंजियोप्लास्टी के पहले होने वाली जांचों और दवाओं का लाभ अभी तक सिर्फ सरकारी अस्पतालों में ही मिलता था।
अब सिर्फ 231 पैकेज ही सरकारी अस्पतालों के लिए आरक्षित
आयुष्मान भारत योजना के तहत अब तक 472 पैकेज सरकारी अस्पतालों के लिए आरक्षित थे, इनमें से 241 को समीक्षा के बाद ओपन फार आल किये जाने से अब मात्र 231 पैकेज ही सरकारी अस्पतालों के लिए आरक्षित रह गए हैं।
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मरीजों की परेशानियों को देखते हुए समीक्षा के दौरान कुछ पैकेज ओपन कैटैगरी में शामिल कर दिये गए हैं। अब रोगी इम्पैनल्ड अस्पतालों में अपनी सुविधा के अनुसार इलाज करा सकेंगे।
जे. विजयकुमार, सीईओ, आयुष्मान भारत