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खोज - 03 January, 2020

व्रत से सुधरे सेहत

व्रत- उपवास भारतीय जीवन पद्धति का हमेशा से हिस्सा रहे हैं। हमारे ऋषि- मुनियों ने इसके पीछे छिपे विज्ञान को जानकर ही समय- समय पर उपवास रखने का विधान किया था। अब अमेरिकी वैज्ञानिक प्रो. मार्क मैटसन ने भी वर्षों तक किए शोध के बाद इसकी पुष्टि करते हुए कहा है कि सप्ताह में एक बार उपवास रखने से न सिर्फ आपकी सेहत सुधरती है अपितु हृदय आंत और मस्तिष्क को भी शक्ति मिलती है।


विभिन्न धर्मों में उपवास के विधान का वैज्ञानिक आधार खोज रहे दुनिया भर के वैज्ञानिक अब इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि नियमित अंतराल पर उपवास रखना शरीर के लिए फायदेमंद है। इससे न सिर्फ वजन घटाने अपितु हाई ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्राल कम करने में भी मदद मिलती है, इतना ही नहीं उपवास से हृदय, आंत और मस्तिक को शक्ति भी मिलती है। वैज्ञानिकों ने पाया कि व्रत रखने के बाद व्यक्ति स्वयं को ऊर्जा से भरा हुआ पाता है।
अमेरिका स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट आफ एजिंग की न्यूरोसाइंस लेबोरेट्री के प्रमुख प्रोफेसर मार्क मैटसन शरीर पर उपवास के असर का कई वर्षों से अध्ययन कर रहे हैं। उन्होंने अपने शोध में पाया कि उपवास करने से शरीर के हृदय, आंत, मांसपेशियां तथा अन्य अंग बेहतर तरीके से कार्य कर पाते हैं। प्रो. मैटसन ने अपने शोध में पाया कि उपवास के दौरान ऊर्जा की खपत कम हो जाती है, जिससे मस्तिष्क को न्यूरो डिजनरेटिव (बढ़ती उम्र के साथ होने वाले तंत्रिका तंत्र से संबंधित) बीमारियों को रोकने में कहीं ज्यादा आसानी होती है। इससे व्यक्ति की न सिर्फ स्मरण शक्ति बेहतर रहती है, बल्कि उसका मूड भी खुशनुमा रहता है। प्रो. मैटसन ने पाया कि उपवास रखने वाले लोगों के मस्तिष्क के सबसे महत्वपूर्ण हिस्से हिप्पोकैम्पस की क्षमता में सुधार आता है।
सेहतमंद व्यक्ति ही रखे उपवास, डायबिटीज के रोगियों के लिए नुकसानदेह है व्रत
विशेषज्ञों के अनुसार सिर्फ सेहतमंद व्यक्ति को ही उपवास रखना चाहिए। अस्वस्थ व्यक्ति का उपवास रखना उसके लिए परेशानी पैदा कर सकता है। डाॅक्टरों के अनुसार जो लोग डायबिटीज से पीड़ित हैं, उनके लिए उपवास रखना उचित नहीं है, अपितु कई बार तो नुकसानदेह तक साबित हो जाता है। उपवास से मधुमेह पीड़ितों की सेहत पर विपरीत प्रभाव पड़ने की आशंका कहीं अधिक होती है।
उपवास से होने वाले लाभ
शरीर से मल- मूत्र व अपान वायु का निष्कासन हो जाता है।
शरीर की चयापचय प्रक्रिया सुधरती है और अंगों को विश्राम मिलता है।
व्यक्ति स्वयं को तरोताजा और अधिक ऊर्जा से भरा हुआ महसूस करता है।
स्वाद, भूख- प्यास और नींद का संतुलन बढ़ने से सुस्ती दूर होती है।