वॉशिंगटन। वैज्ञानिकों ने ऐसी तकनीक विकसित की है, जिससे जल्द ही इन्सान के हार्ट का 3डी प्रिंट तैयार किया जा सकेगा। इससे कोलेजन प्रोटीन से ऊतक (टिश्यू) का 3D बॉयोप्रिंट बनाया जा सकता है। यह प्रोटीन इन्सानी शरीर की संरचना के लिए अहम है। वैज्ञानिकों का कहना है कि फ्रीफॉर्म रिवर्सिबल इंबेडिंग ऑफ सस्पेंडेड हाइड्रोजेल (फ्रेश) तकनीक से बॉयोप्रिंटिंग के क्षेत्र में आने वाली कई चुनौतियां समाप्त हो जाएंगी। : इस तकनीक का सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि इससे प्रिंट किए गए 3D अंग असली अंगों जैसे ही होंगे। यह तकनीक अंग प्रत्यारोपण के क्षेत्र में बहुत मददगार साबित हो सकती है। दरअसल, मानव शरीर का प्रत्येक अंग विशेष कोशिकाओं से बना होता है जो कोलेजन, एंजाइम और ग्लाइकोप्रोटीन के नेटवर्क से बने एक्सट्रा मैट्रिक्स (ECM) से जुड़ा होता है। ECM कोशिका की संरचना को मजबूती देते हैं, जिससे वह अपने सामान्य कार्य कर पाते हैं। अब तक मौजूद तकनीक से ECM की सघन संरचना का प्रतिरूप बनाना मुश्किल था।
शोधकर्ताओं ने इस तकनीक को बॉयोप्रिंटिंग के क्षेत्र के लिए रोमांचक बताया है। उनके अनुसार इसकी मदद से बड़े पैमाने पर मानवीय अंगों का 3D प्रिंट बनाया जाएगा। भविष्य में कोलेजन के अलावा फाइब्रिन, एलगिनाइट और हाइलुरोनिक एसिड का भी 3D बॉयोप्रिंटिंग में इस्तेमाल हो सकेगा। अमेरिका के कानेज मेलोन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर एडम फेइनबर्ग के अनुसार, अंगों के 3D प्रिंटिंग के क्षेत्र में कोलेजन सबसे वांछित जैविक पदार्थ है, क्योंकि यह व्यक्ति के शरीर में मौजूद प्रत्येक ऊतक का निर्माण कर सकता है। तरल रूप में होने के कारण इससे 3D प्रिंट बनाने में मुश्किल आती है। फ्रेश तकनीक से यह समस्या खत्म हो सकती है। इसमें ऊतक बनाने के लिए प्रत्येक सतह में कोलेजन के साथ विशेष प्रकार के जेल (गाढ़ा पदार्थ) का इस्तेमाल किया जाएगा। वैज्ञानिकों का कहना है कि प्रिंट तैयार होने पर कमरे या शरीर के तापमान के बराबर गर्मी देकर जेल को पिघलाया जा सकता है। इससे प्रिंट को भी कोई नुकसान नहीं होगा।